BA Semester-1 Raksha Evam Strategic Study - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2635
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं सैन्य अध्ययन

 

अध्याय - 3

प्राचीन भारतीय युद्ध एवं रक्षा रणनीतियाँ

(Ancient Indian War and Defense Strategies)

 

प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।

अथवा
वैदिक काल के सैन्य संगठन तथा युद्ध कला पर प्रकाश डालिए।
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. वैदिककालीन सैन्य संगठन के स्वरूप की विवेचना कीजिए।

अथवा
वैदिक कालीन सैन्य व्यवस्था का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
2. वैदिक काल में युद्धों में प्रयोग होने वाले अस्त्र-शस्त्र पर प्रकाश डालिए।

3. वैदिक काल के यौद्धिक विधि का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
4. दशराज युद्ध पर टिप्पणी कीजिए। 


उत्तर-

वैदिककालीन सैनिक संगठन
(Vedic Military Organisation)

वैदिक काल का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता के अन्तिम चरण में हुआ। इसी समय आर्यों ने भारत में प्रवेश किया। आर्यों ने भारत में आगमन मध्य एशिया के किसी भाग से किया। इतिहासकारों के अनुसार मध्य एशिया का वह भाग भारत में ही था। इस कारण से आर्यों को भारत का मूल निवासी माना जाता है, जिनका युद्ध समय-समय पर विभिन्न जातियों से हुआ। जब निरन्तर युद्ध के कारण आर्यों को अपनी जीविका उपार्जन अर्थात् कृषि व पशुपालन में विघ्न पड़ने लगे तो उन्होंने अपने समुदाय को तीन भागों ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्य में विभक्त किया, जिससे लड़ाई के समय भी आर्य अपने कार्य निर्विघ्न रूप से कर सकें। इस प्रकार एक लड़ाकू जाति या वर्ग बना दिया गया।

इस प्रकार वैदिक काल की शुरूआत आर्यों के बसाव के साथ शुरू होती है। ऋग्वेद में इसका वर्णन है। इतिहासकारों ने इस काल को 1600 ई. पू. से 800 ई. पू. तक माना है

1. प्रशासनिक व्यवस्था आर्यों ने सामाजिक व्यवस्था को सुधारने के लिए प्रशासनिक व्यवस्था की रचना की। इस रचना के अंतर्गत आर्यों ने एक राजा तथा सेनापति को नियुक्त किया। राजा का कार्य राज्य की सीमा की सुरक्षा तथा शत्रु के किलों को भेदने वाला होता था। यानि राजा का उत्तरदायित्व आन्तरिक व बाह्य सुरक्षा करना होता था। इसी कारण सेनापति का पद भी राजा ही ग्रहण करता था। बिना राजा के युद्ध में विजयश्री प्राप्त करना कठिन हो जाता था। राजा को युद्ध कार्य में सहायता देने के लिए 'युद्ध समिति' बनाई गई थी। इस समिति के परामर्श के उपरान्त राजा युद्ध सम्बन्धी निर्णय लेता था।

2. सैन्य संगठन वैदिक काल में राजाओं के पास एक स्थायी सेना नहीं होती थी। वे युद्ध काल में निम्नलिखित छः प्रकार की सेनाओं को जुटा सकते थे

मौल सेना जिसमें पितृ पितामह क्रस से आये हुए सैनिक होते थे।

भृतक बल (Mercenary ) जो सेना वेतन ग्रहण करने की इच्छा से युद्ध में भाग लेती थी।

श्रेणी वल राज्य के विभिन्न प्रकार के व्यवसाय करने वालों की श्रेणियों द्वारा जुटाई गई सेना।

मित्र वल मित्र राज्यों द्वारा सहायतार्थ भेजी हुई सेना।

अमित्र शत्रु की सेना जिसे किसी तरह अपने वश में कर लिया हो।

अटवी बल असभ्य जातियों अर्थात् वनचरों की सेना।

ऋग्वेद के अनुसार वैदिक सेना के दो अंग थे -

पैदल सेना (Metrical Unit) इसे 'पत्ति' सेना भी कहा जाता था।

रथी सेना (Charioteers ) - इसमें रथ होते थे।

इस समय हाथी को वन- पशु समझा जाता था और घोड़े यद्यपि सवारी के काम आते थे किन्तु युद्ध में एक सेना की भांति उनका प्रयोग वैदिक काल के बाद शुरू हुआ। यही कारण है कि वैदिक काल में रथ सेना व पैदल सेना को अधिक महत्व दिया गया है। एक आक्रमण के दौरान साधारणतया सैनिकों की संख्या चालीस हजार से पचास हजार के मध्य रहती थी। कुछ ग्रन्थों में यह संख्या और अधिक आंकी गयी है। इस युग में नाव का उल्लेख मिलता है किन्तु स्थायी रूप से नौ सेना का निर्माण इस युग में नहीं हुआ था।

3. अस्त्र-शस्त्र वैदिक काल के सैनिकों के हथियार बड़े विचित्र होते थे। प्रास, शूल, शक्ति सृक्ति (भाला), असि (तलवार), नाराच, गदा गोफिया व मूसल आदि का प्रयोग करते हुए कुछ सैनिकों का उल्लेख वैदिक काल में मिलता है। ढाल सुरक्षात्मक अस्त्र-शस्त्र का एक अंग थी।  

ऋग्वेद में 'ध्वज' शब्द का प्रयोग कई बार किया गया है यानि वैदिक काल में आर्य युद्ध में झंडे (केतु) भी ले जाते थे। शायद यह झण्डे विजय के प्रतीक के रूप में रथों पर लगते थे। इस काल में धातु, कांसे तथा तांबे के अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग किया जाता था।

4. दुर्ग तथा आयुधगार प्राचीन ग्रन्थों का अध्ययन करने से पता चलता है कि वैदिककालीन आर्यों ने दुर्गों का सुरक्षा की दृष्टि से निर्माण नहीं करवाया। आर्य सुरक्षात्मक स्थिति में केवल दुर्ग के चारों तरफ गहरी खाइयाँ खोद देते थे।

वैदिककाल में अस्त्र-शस्त्रों के निर्माण का उत्तरदायित्व सम्भवतः राज्य ने अपने ऊपर नहीं लिया था। जन साधारण का ही एक वर्ग धनुष-बाण, तलवार, भाले आदि बनाता था जिसे सैनिक लोग खरीद लेते थे।

5. यौद्धिक स्थिति तथा विधि - वैदिक काल में युद्ध कभी-कभी अत्यन्त भीषण स्थिति में आ जाते थे। इस काल में युद्ध विशाल मैदानी क्षेत्रों तथा नदियों के किनारे लड़े जाते थे। आर्यों के अन्दर वीरता तथा मातृभूमि की भावना और साहस अत्यधिक था।

आर्य ऊँचे मिट्टी के टीले बनाकर मोर्चाबन्दी किया करते थे। वैदिककालीन युद्धों में आर्यों की सेनाएं पंक्तिबद्ध होकर लड़ाई लड़ने में दक्ष थीं। रथी रथों पर खड़े होकर बाण वर्षा करते थे। पुरोहित गण युद्ध में उपस्थित होकर राजा की विजय की कामना करने के लिए मन्त्रों द्वारा दीक्षित करते थे।

6. वाद्य यन्त्र - ऋग्वेद में ऐसे कई वाद्य यन्त्रों का उल्लेख किया गया है जो युद्ध के समय बजाये जाते थे। इन यन्त्रों का मुख्य उद्देश्य प्रायः सैनिकों को उत्साहित करना तथा शत्रु सेना के मनोबल को गिराना होता था। धांसा, दुंदभि, ध्वजनि तथा क्रन्द आदि वाद्य यन्त्रों का प्रयोग युद्ध क्षेत्र में होता था।

निष्कर्ष - वैदिककालीन यौद्धिक इतिहास को देखकर यह निष्कर्ष निकलता है कि इस काल में सेना को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था नहीं थी। सैन्य संचालन तथा समरतंत्र का सही प्रयोग नहीं था। इस काल के सैनिकों में यानि आर्यों में देशप्रेम तथा साहस अत्यधिक था जिसके बल पर आर्य युद्धों को जीत लेते थे।

दशराज युद्ध अथवा दस राजाओं का युद्ध
(Battle of Tenkings)

वैदिक काल की एक महत्वपूर्ण घटना दस राजाओं का युद्ध है। यह युद्ध वैदिककाल का अत्यधिक भयानक युद्ध था। इस युद्ध में एक ओर राजा सुदास और दूसरी ओर उत्तर भारत के दस आर्य कुल थे जिनमें पुरु, ध्रुव, अणु तुवर्श तथा युदुकुल मुख्य थे। इस लड़ाई का मुख्य कारण पुरोहित विश्वामित्र तथा पुरोहित वशिष्ठ का परस्पर वैमनस्य था। विश्वामित्र ने दस आर्य कुलों का संघ बनाकर राजा सुदास पर चढ़ाई कराई थी। यह लड़ाई परुषणी (रावी) नदी के तट पर हुई थी। सुदास के संघ का नाम 'भरत' था। सुदास बड़ा वीर तथा साहसी राजा था। उसने युद्ध क्षेत्र में दसों 'राजाओं को हराया और उनके नेता अणु व दुष्य को नदी के पानी में डुबो कर मार डाला। इस युद्ध में दस राजाओं की 60 हजार से अधिक सेना हताहत हुई और राजा सुदास ने दसों राज्यों पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- स्त्रातेजी अथवा कूटयोजना (Strategy) का क्या अभिप्राय है? इसकी विभिन्न परिभाषाओं की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- स्त्रातेजी का उद्देश्य क्या है? स्त्रातेजी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये क्या उपाय किये जाते हैं?
  3. प्रश्न- स्त्रातेजी के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  4. प्रश्न- महान स्त्रातेजी पर एक लेख लिखिये तथा स्त्रातेजी एवं महान स्त्रातेजी में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  5. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक भूगोल से आप क्या समझते हैं? सैन्य दृष्टि से इसका अध्ययन क्यों आवश्यक है?
  6. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  7. प्रश्न- स्त्रातेजी का अर्थ तथा परिभाषा लिखिये।
  8. प्रश्न- स्त्रातेजिक गतिविधियाँ तथा चालें किसे कहते हैं तथा उनमें क्या अन्तर है?
  9. प्रश्न- महान स्त्रातेजी (Great Strategy) क्या है?
  10. प्रश्न- पैरालिसिस स्त्रातेजी पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- युद्धों के विकास पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  13. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते है? युद्ध की विशेषताएँ बताते हुए इसकी सर्वव्यापकता पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- युद्ध की चक्रक प्रक्रिया (Cycle of war) का उल्लेख कीजिए।
  15. प्रश्न- युद्ध और शान्ति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते हैं?
  17. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- राजदूतों के कर्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
  19. प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
  20. प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
  21. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
  22. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
  23. प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
  25. प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
  27. प्रश्न- युद्ध के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- युद्धों के सिद्धान्तों में प्रशासन (Administration) का क्या महत्व है?
  29. प्रश्न- नीति के साधन के रूप में युद्ध के प्रयोग पर सविस्तार एक लेख लिखिए।
  30. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  31. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण में युद्ध की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- अतीत को युद्धों की तुलना में वर्तमान समय में युद्धों की संख्या में कमी का क्या कारण है? प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- आधुनिक युद्ध की प्रकृति और विशेषताओं की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
  34. प्रश्न- आधुनिक युद्ध को परिभाषित कीजिए।
  35. प्रश्न- गुरिल्ला स्त्रातेजी पर माओत्से तुंग के सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए गुरिल्ला युद्ध के चरणों पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- चे ग्वेरा के गुरिल्ला युद्ध सम्बन्धी विभिन्न विचारों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध (छापामार युद्ध) के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए तथा गुरिल्ला विरोधी अभियान पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- प्रति विप्लवकारी (Counter Insurgency) युद्ध के तत्वों तथा अवस्थाओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- चीन की कृषक क्रान्ति में छापामार युद्धकला की भूमिका पर अपने विचार लिखिए।
  40. प्रश्न- चे ग्वेरा ने किन तत्वों को छापामार सैन्य संक्रिया हेतु परिहार्य माना है?
  41. प्रश्न- छापामार युद्ध कर्म (Gurilla Warfare) में चे ग्वेरा के योगदान की विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध में प्रचार की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध कर्म की स्त्रातेजी और सामरिकी पर प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- छापामार युद्ध को परिभाषित करते हुए इसके सम्बन्ध में चे ग्वेरा की विचारधारा का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- लेनिन की गुरिल्ला युद्ध-नीति की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध क्या है?
  47. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  48. प्रश्न- आधुनिक युद्ध क्या है? 'आधुनिक युद्ध अन्ततः मनोवैज्ञानिक है' विस्तृत रूप से विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- सैन्य मनोविज्ञान के बढ़ते प्रभाव क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध के कौन-कौन से हथियार हैं? व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- प्रचार को परिभाषित करते हुए इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- अफवाह (Rumor) क्या है? युद्ध में इसके महत्व का उल्लेख करते हुए अफवाहों को नियंत्रित करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- आतंक (Panic) से आप क्या समझते हैं? आंतंक पर नियंत्रण पाने की विधि का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- भय (Fear) क्या है? युद्ध के दौरान भय पर नियंत्रण रखने वाले विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- बुद्धि परिवर्तन (Brain Washing) क्या हैं? बुद्धि परिवर्तन की तकनीकों तथा इससे बचने के उपायों का उल्लेख कीजिए।
  56. प्रश्न- युद्धों के प्रकारों का उल्लेख करते हुए विशेष रूप से मनोवैज्ञानिक युद्ध का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। युद्ध के सामाजिक, राजनैतिक, सैन्य एवं मनोवैज्ञानिक कारणों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- कूटनीतिक प्रचार (Strategic Propaganda ) एवं समस्तान्त्रिक प्रचार (Tactical Propaganda ) में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  59. प्रश्न- प्रचार एवं अफवाह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध की उपयोगिता बताइये।
  61. प्रश्न- युद्ध एक आर्थिक समस्या के रूप में विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- आर्थिक युद्ध की परिभाषा दीजिए। आर्थिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- आधुनिक युद्ध राजनीतिक सैनिक कारणों की अपेक्षा सामाजिक आर्थिक कारकों के कारण अधिक होते हैं। व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- आर्थिक क्षमता से आप क्या समझते हैं?
  65. प्रश्न- आधुनिक युद्ध में आर्थिक व्यवस्था का महत्व बताइये।
  66. प्रश्न- युद्ध को प्रभावित करने वाले तत्वों में से प्राकृतिक संसाधन पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक आर्थिक क्षमताएँ व दुर्बलताएँ बताइये।
  68. प्रश्न- युद्धोपरान्त उत्पन्न विभिन्न आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण कीजिये
  69. प्रश्न- युद्ध की आर्थिक समस्यायें लिखिए?
  70. प्रश्न- युद्ध के आर्थिक साधन क्या हैं?
  71. प्रश्न- परमाणु भयादोहन के हेनरी किसिंजर के विचारों की व्याख्या कीजिये।
  72. प्रश्न- आणविक भयादोहन पर एक निबन्ध लिखिये।
  73. प्रश्न- परमाणु भयादोहन और रक्षा के सन्दर्भ में निम्नलिखित सैन्य विचारकों के विचार लिखिए। (i) आन्द्रे ब्यूफ्रे (Andre Beaufre), (ii) वाई. हरकाबी (Y. Harkabi), (iii) लिडिल हार्ट (Liddle Hart), (iv) हेनरी किसिंजर (Henery Kissinger) |
  74. प्रश्न- परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- मैक्यावली से परमाणु युग तक के विचारों एवं प्रचलनों की विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- आणविक युग में युद्ध की आधुनिक स्रातेजी को कैसे प्रयोग किया जायेगा?
  77. प्रश्न- 123 समझौते पर विस्तार से लिखिए।
  78. प्रश्न- परमाणविक युद्ध की प्रकृति एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- आणविक शीत से आप क्या समझते हैं?
  80. प्रश्न- नाभिकीय तनाव को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- परमाणु बम का प्रथम बार प्रयोग कब और कहाँ हुआ?
  82. प्रश्न- हेनरी किसिंजर के नाभिकीय सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  83. प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (C.T.B.T) से आप क्या समझते हैं?
  84. प्रश्न- हरकावी के नाभिकीय भय निवारण- सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  85. प्रश्न- आणविक युग पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- हर्काबी के नाभिकीय युद्ध संक्रिया सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
  87. प्रश्न- रासायनिक तथा जैविक अस्त्र क्या हैं? इनके प्रयोग से होने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- रासायनिक युद्ध किसे कहते हैं? विस्तार से उदाहरण सहित समझाइए।
  89. प्रश्न- विभिन्न प्रकार के रासायनिक हथियारों पर प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- जैविक युद्ध पर एक निबन्ध लिखिए।
  91. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध कर्म से बचाव हेतु तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  92. प्रश्न- रासायनिक एवं जीवाणु युद्ध को समझाइये |
  93. प्रश्न- जनसंहारक अस्त्र (WMD) क्या है?
  94. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध के प्रमुख आयामों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  95. प्रश्न- विश्व में स्थापित विभिन्न उद्योगों में रासायनिक गैसों के उपयोग एवं दुष्प्रभाव परप्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- प्रमुख रासायनिक हथियारों के नाम एवं प्रभाव लिखिए।

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